Bihar Board की परीक्षाओं के दौरान एक दर्दनाक घटना सामने आई, जब कई महिला परीक्षार्थियों को महज कुछ मिनटों की देरी से पहुंचने के कारण परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया। इस घटना ने छात्राओं और उनके अभिभावकों को गहरा सदमा पहुंचाया। परीक्षा केंद्रों पर सख्ती का नजारा तब देखने को मिला, जब कई छात्राएं रोते हुए गेट पर प्रवेश की गुहार लगाती रहीं, लेकिन प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए उन्हें अंदर जाने से रोक दिया।

महिला परीक्षार्थियों का दर्द
परीक्षा केंद्रों पर सख्ती का नजारा तब देखने को मिला, जब कई छात्राएं महज कुछ मिनटों की देरी से पहुंचने के कारण परीक्षा से वंचित रह गईं। कई महिला परीक्षार्थियों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया, लेकिन पुलिसकर्मियों और केंद्र प्रशासन ने उन्हें प्रवेश देने से साफ इनकार कर दिया। वहीं, छात्राओं ने पुलिसकर्मियों और परीक्षा अधिकारियों से आरजू-विनती करते हुए परीक्षा में बैठने की अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा कि नियमों के अनुसार 9:00 बजे के बाद किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
इस घटना ने छात्राओं और उनके अभिभावकों को गहरा आघात पहुंचाया। एक छात्रा ने बताया कि वह सुबह जल्दी निकली थी, लेकिन ट्रैफिक जाम के कारण वह समय पर परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच सकी। उसने कहा, “मैंने पूरे साल मेहनत की है, लेकिन कुछ मिनटों की देरी के कारण मुझे परीक्षा से वंचित कर दिया गया। यह बहुत अन्यायपूर्ण है।”
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई परीक्षा
जहानाबाद जिले के सभी 16 परीक्षा केंद्रों पर दंडाधिकारी और पुलिस बल की तैनाती की गई थी। जिला अधिकारी अलंकृता पांडे और पुलिस अधीक्षक अरविंद प्रताप सिंह ने विभिन्न परीक्षा केंद्रों का दौरा कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। परीक्षा के दौरान प्रशासन द्वारा नकल रोकने के लिए विशेष सख्ती बरती गई। सभी केंद्रों पर परीक्षा निरीक्षकों (वीक्षकों) को मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई।
प्रशासन का कहना था कि सख्त नियम परीक्षा में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लागू किए गए हैं। हालांकि, इस सख्ती का असर उन छात्राओं पर पड़ा, जो किसी कारणवश समय पर परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच सकीं। परीक्षा केंद्रों पर छात्राओं के रोने-चिल्लाने के बावजूद प्रशासन ने नियमों में कोई ढील नहीं दी।
Bihar Board परीक्षा से वंचित छात्र-छात्राओं में आक्रोश
देर से पहुंचे परीक्षार्थियों को परीक्षा में न बैठने देने के फैसले से छात्र-छात्राओं में आक्रोश देखने को मिला। परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों ने प्रशासन से थोड़ी नरमी बरतने और परीक्षा केंद्र में प्रवेश की समयसीमा में 5-10 मिनट की रियायत देने की मांग की। उनका कहना था कि कई बार ट्रैफिक जाम या अन्य कारणों से छात्र थोड़ी देरी से पहुंचते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें पूरे साल की मेहनत का परिणाम न मिले।
हालांकि, प्रशासन का कहना है कि सख्त नियम परीक्षा में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लागू किए गए हैं। एक अधिकारी ने कहा, “हमें सभी छात्रों के लिए समान नियम लागू करने होंगे। अगर हम एक छात्र को रियायत देंगे, तो यह अन्याय होगा।”
छात्राओं की मांग
इस घटना के बाद छात्राओं और उनके अभिभावकों ने प्रशासन से कुछ मांगें रखी हैं:
- समयसीमा में लचीलापन: परीक्षा केंद्र में प्रवेश की समयसीमा में 5-10 मिनट की रियायत दी जाए।
- परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाएं: दूरदराज के इलाकों में परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि छात्रों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े।
- ट्रैफिक व्यवस्था: परीक्षा के दिनों में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए, ताकि छात्र समय पर पहुंच सकें।
निष्कर्ष
बिहार बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान हुई यह घटना छात्राओं के लिए एक बड़ा झटका है। प्रशासन की सख्ती ने कई छात्राओं को उनके सपनों से वंचित कर दिया है। हालांकि, नियमों का पालन करना जरूरी है, लेकिन कुछ मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना भी उतना ही आवश्यक है। छात्राओं की मेहनत और भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को इस मामले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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