उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) की बोर्ड परीक्षाएं हर साल लाखों छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर आती हैं। इस बार भी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 24 फरवरी 2025 से शुरू होने वाली हैं। हालांकि, इस बार बोर्ड ने नकल रोकने के लिए कुछ नए और सख्त कदम उठाए हैं, खासकर प्रैक्टिकल परीक्षाओं में। बोर्ड का मानना है कि नकल पर पूरी तरह से रोक लगाकर ही परीक्षा की गंभीरता और विश्वसनीयता को बनाए रखा जा सकता है।

UP Board प्रैक्टिकल परीक्षा में नकल पर सख्त रोक
इस बार यूपी बोर्ड ने प्रैक्टिकल परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। बोर्ड के अनुसार, अगर कोई छात्र प्रैक्टिकल परीक्षा के दौरान नकल करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसकी उत्तर पुस्तिका (कॉपी) का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा। यह कदम छात्रों को नकल से दूर रहने के लिए प्रेरित करने और परीक्षा की गंभीरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
प्रैक्टिकल परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए बोर्ड ने सीसीटीवी कैमरों और वॉइस रिकॉर्डर की व्यवस्था की है। इसके अलावा, सचल दस्ते (फ्लाइंग स्क्वॉड) भी बनाए गए हैं, जो परीक्षा केंद्रों पर अचानक निरीक्षण करेंगे। यह दस्ता परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितता पर नजर रखेगा और नकल करने वाले छात्रों को चिह्नित करेगा।
नकल करने वाले छात्रों के लिए सजा
यूपी बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि नकल करने वाले छात्रों को कोई रियायत नहीं दी जाएगी। अगर कोई छात्र नकल करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसकी उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा और उसे परीक्षा में शून्य अंक दिए जाएंगे। इसके अलावा, ऐसे छात्रों का परीक्षा परिणाम भी परीक्षा प्राधिकारी द्वारा नियमों के तहत घोषित किया जाएगा।
हालांकि, यूपी बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश नकल विरोधी अध्यादेश (UP Anti-Copying Act) बोर्ड परीक्षाओं पर लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि नकल करने वाले छात्रों को जेल या भारी जुर्माने का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन उन्हें परीक्षा में अंकों से वंचित होना पड़ सकता है।
Also Read…….UP Board 2025: इंटरमीडिएट प्रैक्टिकल एग्जाम की नई तारीखें जारी, जानें पूरा शेड्यूल
छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
यूपी बोर्ड के इन नए नियमों को लेकर छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया मिली-जुली है। कुछ छात्रों का मानना है कि यह कदम सही है क्योंकि इससे परीक्षा की गंभीरता बनी रहेगी और मेहनत करने वाले छात्रों को उनका हक मिलेगा। वहीं, कुछ छात्रों को लगता है कि यह नियम उन पर अनावश्यक दबाव डाल सकते हैं, खासकर उन छात्रों पर जो पहले से ही परीक्षा के तनाव से जूझ रहे हैं।
अभिभावकों का कहना है कि बोर्ड को नकल रोकने के साथ-साथ छात्रों की मानसिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए। उनका सुझाव है कि बोर्ड को छात्रों को बेहतर तैयारी के लिए संसाधन और मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराना चाहिए।
शिक्षकों की भूमिका
इस पूरे प्रकरण में शिक्षकों की भूमिका भी अहम है। शिक्षकों को छात्रों को नकल से दूर रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए और उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए सही मार्गदर्शन देना चाहिए। साथ ही, शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षा केंद्रों पर सभी नियमों का पालन हो और किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जाए।
Also Read…….UP Board Exam 2025 : भौतिक विज्ञान में आंकिक प्रश्नों को रटे नहीं, समझकर करें तैयारी
यूपी बोर्ड की 2025 की परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए उठाए गए यह कदम निश्चित रूप से सराहनीय हैं। इन नियमों से न केवल परीक्षा की गंभीरता बनी रहेगी, बल्कि छात्रों को मेहनत करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। हालांकि, बोर्ड को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इन नियमों का पालन करते हुए छात्रों पर अनावश्यक दबाव न पड़े। साथ ही, छात्रों को बेहतर तैयारी के लिए संसाधन और मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।